आज हम एक ऐसी महिला की कहानी लेकर आए हैं जिसने अपनी हिम्मत और हौसले के दम बड़ा लक्ष्य हासिल किया है। इस महिला का नाम है आशा कंदारा। जोधपुर नगर निगम में बतौर सफाई कर्मचारी काम करने वाली आशा कंदारा सिंगल मदर हैं। उनकी मेहनत और लग्न का नतीजा है कि अब वे डिप्टी कलेक्टर बन गई हैं। आइये जानते हैं आशा कंदारा की सक्सेस स्टोरी
आशा कंदारा ने जब अपने लक्ष्य को पाने की जब ठानी तो उन्होंने न तो समाज की चिंता की और न ही परिवार की। यहां तक कि उन्होंने अपने और अपने लक्ष्य बीच उम्र के बंधन को भी नहीं आने दिया। आशा ने अपनी और अपने दोनों बच्चों की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए एक लक्ष्य साधा और उसे पूरा भी किया। उन्होंने राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा पास करके समाज में एक नई मिसाल पेश की है।
आशा कंदारा की कहानी शुरू होती है आज से 9 साल पहले, जब उनके पति उन्हें उनके दो बच्चों को छोड़कर चले गए थे। इसके बाद आशा के सामने दो रास्ते थे। एक वह कि वे रोती बिलखती और जो हुआ उसे अपनी किस्मत मान लेती। वहीं दूसरा था कि वह अपने पैरों पर खड़ी हों और अपने बच्चों का भविष्य संवारे। आशा ने दूसरा रास्ता चुना इसके बाद सबसे पहले वे जोधपुर नगर निगम में सफाई कर्मचारी बनकर अपने पैरों पर खड़ी हुईं।
इस दौरान वह अपनी आगे की पढ़ाई भी पूरी करती रहीं। अपने काम और पढ़ाई को पूरा करने में उन्होंने अपने माता-पिता की मदद ली। ग्रेजुएशन करने के बाद आशा ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा में शामिल होने का फैसला लिया। उन्होंने दिन रात मेहनत की।उनकी मेहनत रंग लाई और वह राजस्थान प्रशासनिक सेवा परीक्षा में सफल होकर डिप्टी कलेक्टर बन गईं। हालांकि,दो बच्चों के साथ इस मंजिल पर पहुंचना उनके लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था लेकिन उन्होंने इसे कर दिखाया।