ऑटो चालक की बेटी ने 10वीं में किया टॉप और 96 प्रतिशत के साथ पूरे राज्य में नाम रोशन किया

सफलता अमीरों की चाकरी नहीं करती। वो तो उन लोगों को मिलती है, जो मेहनत करते है और खुद को संघर्ष की आग में तपाते है। फिर चाहे वो आमिर हो या गरीब। ये फर्क सिर्फ इंसानों में है। पुरे भारत में 80 फीसदी ऐसे लोग है जो गरीबी में पले बढ़े परंतु उन्होंने अपने माता पिता की मेहनत जाया नहीं जाने दी। उन्होंने इतनी मेहनत की कि कामयाबी भी खुद उनके सामने झुक गई।

माता पिता हमेसा अपने बच्चों को वो देना चाहते है जो वे चाहते हुए भी नहीं पा सके। पूरी दुनिया में अगर कोई बिना स्वार्थ के हमें प्यार करता है तो वो हमारे माता पिता होते है, उनके मन ने कभी भी कोई स्वार्थ नहीं होता अपने बच्चों के प्रति। वे अपने बच्चों को हमेशा सफलता की ऊँचाई पर देखना चाहते है। खास कर बेटियो की पढ़ाई के लिए पहले के समय में भले ही बेटियो को इतना मान सम्मान नहीं दिया जाता था। परंतु आज बेटियो को अपना नाम मिला। वे आज खुद नाम बना रही है। आज बेटियो के नाम से उनके माता पिता को जाना जा रहा है। और माता पिता को गर्व महसूस होता है। ना की दुःख।

हमारे देश के लिए बहुत गर्व की बात है कि अब बेटियो को अपनी पहचान मिल रही है। माँ दुर्गा को पूजने वाले अगर औरत की इज़्ज़त न करे तो उनकी पूजा का कोई सार नहीं है। आज की इस पोस्ट में हम बात करेंगे एक ऐसी ही बेटी की जिसने अपने गरीब माँ बाप का नाम गर्व से ऊंचा कर दिया आइये जानते है कोन है यह बेटी। जीवन में शिक्षा का महत्व

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शिक्षा, समाज का निर्माण करती है और एक आत्मनिर्भर समाज बनता है। वर्तमान समय में हर क्षेत्र में शिक्षा का महत्त्व बढ़ चुका है। शिक्षा के माध्यम से बहुत से कार्य संभव है परंतु अब समय है कि इसे एक नई दिशा दी जाए। शिक्षा ऐसी होना जरुरी है, कि एक व्यक्ति अपने आपके परिवेश को समझ सके। शिक्षा से उज्ज्वल भविष्य का निर्माण होता है और लोगो को काफी कुछ सीखने और समझने मिलता है। हम अपने जीवन में शिक्षा और व्यवहारिक ज्ञान से एक स्वस्थ और उच्च विचार वाले भविष्य का निर्माण करते है।

शिक्षा से लोगों को सामाजिक और पारिवारिक सम्मान और अपनी एक अलग पहचान बनाने का मौका मिलता है। शिक्षा का समय हर तरह से बहुत ही खास समय होता है। आधुनिक तकनीकी से चलने वाली दुनिया में शिक्षा ने एक अहम रोल निभाया है। आज की इस योजना ने हमारा जीवन और भी आसान कर दिया है 12वीं कक्षा के बाद कोई भी विद्यार्थी डिस्टेंस एजूकेशन के जरिये नौकरी के साथ पढ़ाई भी कर सकता हैं। बदली शिक्षा नीति से बहुत अच्छे बदलाव आये है, जिसकी वर्षो से चाह थी। राजस्थान की सुहानी शुक्रवाल

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राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर की रहने वाली सुहानी शक्रवाल (Suhani Shakrwal) की उम्र अभी सिर्फ 15 साल है और उनके सपने बहुत बड़े। सुहानी ने वर्तमान में 10वीं की परीक्षा दी है और इस परीक्षा में उन्होंने 96 प्रतिशत अंक हासिल कर अपने परिवार और अपने राज्य (Rajasthan) का नाम रौशन कर दिखाया है। सुहानी एक बहुत गरीब परिवार की बेटी है और उन्होंने अपने जीवन में काफी सारे आभाव देखे है।

इसी लिए उनकी कामयाबी बहुत विशेष है। सुहानी की माँ पिंकी और पिता राजेश दोनों ही अशिक्षित है। राजेश एक ऑटो चालक है। आर्थिक परेशानियां के बाद भी सुहानी की पढ़ाई रेगुलर कराई उनके पिता ने। आपदा काल के संघर्ष ने सुहानी को प्रेरित किया आपदा काल सभी के लिए बहुत ही बुरा मंजर था। जो दिन भर मजदूरी करके रात का खाना इखट्टा कर पाते थे। उनके लिए सबसे मुश्किल दौर था। सुहानी और उसके परिवार ने भी इस दौर को देखा। उनके दिन इतने बुरे हो गए की सुहानी की माता को दूसरों के कपड़े धोकर अपना घर चलाने पर मजबूर हो गई।

परिवार के संघर्ष से ही सुहानी मोटीवेट हुई और खुद को पढ़ाई के लिए एक दम झोंक दिया। सुहानी दिन-रात पढ़ाई करती और जरूरत पड़ने पर अपनी माँ के साथ घर के कामकाज में हाथ बंटाती। सीए बनने की है ख्वाहिश सुहानी के स्कूल के ट्रीचरो ने सुहानी के माता पिता को उनकी बेटी का परीक्षा परिणाम बताया तो उनकी बेटी की इस सफलता पर उसके माता-पिता काफी खुश है।

सुहानी के स्कूल के प्रिंसिपल देवेन्द्र कुमार वाजा ने सुहानी की खूब तारीफ की और कहते है कि सुहानी पढ़ाई में शुरू से ही काफी इंटेलिजेंट है। अब सुहानी कॉमर्स लेकर बैंकिंग के क्षेत्र में अपना फ्यूचर बनाना चाहती है वे सीए बनना चाहती हैं। जिससे वे अपने परिवार की आर्थिंक स्थिति सुधार सकें।

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