राजस्थान के आलू से विदेश में बनेंगे फ्रेंच फ्राइज़, किसान विक्रम सिंह ने पेश की ये मिसाल

राजस्थान के रेगिस्तान में जहां लोग कभी पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसते थे, अब इसी रेगिस्तान में फ्रेंच फ्राइज के आलू की खेती की जा रही हैं, जो विदेशों में फ्रेंच फ्राइज में काम आएंगे. बाड़मेर जिला मुख्यालय से मात्र 35 किलोमीटर दूर तारतारा गांव निवासी युवा किसान विक्रम सिंह ने विदेशी कंपनी से समझौता कर नवीन तकनीक से आलू की बुवाई शुरू की थी और अब जब रेगिस्तानी धार में आलू की बंपर पैदावार हो रही है तो दूर-दूर से लोग इसे देखने के लिए उमड़ रहे हैं.

आमतौर पर रेगिस्तानी इलाकों के खेतों में बाजरा, मूंग, मोठ, ग्वार और जीरे की ही बुवाई की जाती रही है, लेकिन पहले वकील, फिर पत्रकारिता और फिर बड़े महानगरों में अपना भाग्य आजमाने के बाद वापस अपने गांव में लौटकर विक्रम सिंह ने 25 एकड़ खेत में आलू की बुवाई शुरू कर दी. इसके लिए विक्रम सिंह ने दुनिया की सबसे बड़ी फूड कंपनियों में शुमार कनाडा की मैकेन फूड्स कंपनी के लिए आलू की फसल की बुवाई की है.

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अनूठे प्रयोग से सुर्खियों में गांव खेती के इस अनूठे और नए प्रयोग से तारातरा गांव इस समय देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी सुर्खियां बटोर रहा है. इसी के साथ विक्रम सिंह की चर्चा चारों तरफ जारी है. युवा किसान विक्रम सिंह ने बताया कि खेत की 25 एकड़ जमीन में आलू की बुवाई की गई है. मैकेन कंपनी ने आलू के 32 हजार 500 किलोग्राम बीज उपलब्ध करवाए थे. उसी के आधार पर 25 एकड़ जमीन पर कंपनी के सहयोग से खेती शुरू की. कंपनी के दिशा निर्देशों पर काम करते हुए खेती जारी रखी और अब आलू की बंपर पैदावार हो रही है.

विदेशों में फ्रेंच फ्राइज में परोसा जाएगा बाड़मेर का आलू किसान विक्रम सिंह के मुताबिक, आलू की खेती के लिए कंपनी से एग्रीमेंट हो रखा है. उसी के आधार पर जो भी फसल की पैदावार होगी, वह विदेश के 160 देशों में मेहमानों के लिए फ्रेंज फ्राइज से लेकर अन्य कई तरह की सब्जियों में उपयोग में लिया जाएगा. अनुमान है कि 100 दिन के अंदर फसल का 10 गुना उत्पादन हो जाएगा. इस खेती से महिलाओं से लेकर कई किसानों को रोजगार भी मिल रहा है. विक्रम सिंह के अनुसार, पहली बार इस तरीके का प्रयोग किया जा रहा है इसलिए अभी तक इस बात का कोई अनुमान नहीं है कि इस खेती में आय कितनी होगी.

तीन किस्म के आलू की पैदावार किसान विक्रम सिंह के अनुसार, फसल की बुवाई 25 नवंबर से शुरू कर दी गई थी. 100 दिन बाद यानी मार्च और अप्रैल में आलू की पैदावार होगी, जो तीन अलग-अलग क्वालिटी का होगा. इसके लिए आलू निकालकर पैकिंग करने की तैयारी भी शुरू कर दी गई है. कंपनी यहीं से आलू विदेश ले जाएगी.

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खेत की मिट्टी और पानी की हुई कई स्तर पर जांच आलू की खेती के लिए युवा किसान ने पहले कंपनी से समझौता किया, फार्मिग बेस पर बातचीत की गई, जिसके बाद कंपनी के अधिकारियों ने खेत की मिट्टी और पानी की कई स्तर पर जांच की. खेती के लिए उपयुक्त स्थान पाए जाने पर मैकेन कंपनी के भारतीय प्रतिनिधित्व ने भी खेत की कई स्तर पर जांच की. आखिरकार कंपनी एग्रीमेंट के लिए तैयार हो गई.

विक्रम सिंह के मुताबिक, आलू की अच्छी पैदावार के लिए कंपनी के प्रतिनिधित्व ने मुझे गाइड किया. उसी तरह से जुताई और बुवाई करवाई गई. गांव की महिलाओं को 2 दिन तक बीज तैयार करना सिखाया, उसके बाद 7 महिलाओं ने अच्छी तरीके से बीज तैयार किए और उसके बाद जुताई शुरू हो गई. अब पैदावार भी हो रही हैं.

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