बकरी चराने वाली लड़की बनी टॉपर, बिना बिजली टॉर्च की रोशनी में पढ़ाई करनी पड़ी

परिस्थिति चाहे कैसी भी हो परंतु उसके सामने हमें कभी नहीं झुकना चाहिए। क्योंकि सोना भी आग में तपने के बाद चमकता है। आप भी संघर्ष की आग में तप कर सफलता रूपी चमक अपने अंदर ला सकते हो। एक सफल इंसान वहीँ है, जो हर परिस्थिति में मुस्करा सके। भारत में 10 फीसदी लोग ऐसे है, जिन्हें दोनों समय का खाना मिल जाए तो बहुत बड़ी बात है। ऐसे में उस परिवार में बड़े से लेकर छोटे तक मजदूरी करते है और घर चलाते है। इस परिवार के बच्चो को जिस वक्त शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए उस समय वे बाल श्रम करते है।

ऐसी स्थिति को देख कर मन बहुत दुखी होता है। उन बच्चों का कोई अच्छा भविष्य ही नहीं होता। परंतु कुछ बच्चों में शिक्षा प्राप्त करने की बेहद चाहत होती है और वे करते भी है अपनी परिस्थितियों को कभी अपने लक्ष्य के आड़े नहीं आने देती। घर के काम के साथ साथ पढ़ाई भी करते है।

बकरी चराने वाली लड़की बनी टॉपर, पिता नहीं रहे, बिना बिजली टॉर्च की रोशनी  में पढ़ाई करनी पड़ी – ApnaBihar

वे सफल ही नहीं बल्कि देश में भी अपना नाम बना लेते है। आज ऐसी ही एक कहानी है राजस्थान की एक बेटी की जिसने बकरी चराई उसके बाद पढ़ाई की और आज पूरे राज्य में 12 वीं कक्षा में टॉप किया। आइये हम विस्तार से जानते है। कड़े संघर्ष की सफलता की कहानी लोगो के अंदर की कला गरीबी और अमीरी नहीं देखती और न ही उसे किसी संसाधन की जरुरत होती है। व्यक्ति के अंदर की कला अपना रास्ता खुद बना कर लोगों के सामने आती है।

इसका एक जागता उदहारण बनी राजस्थान (Rajasthan) राज्य के अलवर (Alwar) इलाके में रहने वाली रवीना (Raveena)। इन्होंने संसाधनो के आभाव और गरीबी में अपना जीवन बिताते हुए 12वीं में आर्ट सब्जेक्ट से 93 फीसदी अंक प्राप्त कर राजस्थान में टॉप किया। उनके इस कारनामे ने उनके घर और पूरे राजस्थान को गौरवान्वित कर दिया है।

brilliant Raveena Gurjar willbe able to study in light need to give wings  to dreams of student | रवीना गुर्जर ने जब जमकर की पढ़ाई, बकरी चराने वाली के  घर लाइट आई |

ये सफलता इसलिए भी ख़ास है, क्यूंकि रवीना एक गरीब परिवार की लड़की है और उनके घर में बिजली की व्यवस्था भी नहीं है साथ ही रवीना दिन भर बकरी चराती है जिससे उनका घर पलता है और रात में मोबाइल की टार्च में पढ़ाई करती है। दुर्भाग्य से रवीना के पिता भी इस दुनिया में नही है।

इसी लिए रवीना पढ़ाई के साथ घर में आर्थिक मदद के लिए बकरी चराती है और आज उन्होंने एक बहुत बड़ी सफलता हासिल की है। दिन भर बकरी चराती और रात में पढ़ाई कर 12वीं में किया टॉप राजस्थान राज्य के जिला अलवर के एक गांव गढ़ी मामोड़ जहा रवीना रहती है, यह गांव की सबसे काबिल बिटिया है।

रवीना अपने ही गांव के एक सरकारी स्कूल में पढ़ती है, इनकी उम्र करीब 17 वर्ष है। रवीना के पिता का नाम रमेश गुर्जर था। जिनकी 12 वर्ष पूर्व सर्प दंश के कारण मृत्यु हो गई और उसकी माँ भी ह्रदय की मरीज है।पूरा परिवार एक झोपडी की तरह बने एक घर में निवास करता है। गरीबी के कारण आज उनकर घर में बिजली तक नहीं है। आप सुनकर चकित रह जाएंगे की रवीना ने अपनी पढ़ाई लाल टेन से की है और यह सफलता प्राप्त की है।

बकरी चराने वाली लड़की ने किया टॉप, झोपड़ी में टॉर्च की रोशनी में करती थी  पढ़ाई!

रवीना घर के काम से लेकर छोटे भाई-बहनों का भी पूरा ध्यान रखती है। चार भाई बहन में तीसरे नंबर की है रवीना रवीना चार-भाई बहन है जिसमे रवीना तीसरे नंबर की बच्ची है रवीनाकी बड़ी बहन की शादी हो गई है।और एक बहन और भाई रवीना से छोटे हैं। घर की जिम्मेदारियों के साथ रवीना ने अपने लक्ष्य को कमजोर नहीं पड़ने दिया। आपको जान कर हैरानी होगी कि रवीना के परिवार का घर का खर्च पालनहार योजना के तहत मिलने वाले 2000 रुपए से चलता है।

उन्हें मोबाइल भी पढ़ाई के लिए बाल आश्रम स्कूल के संचालक, नोबल पुरस्कार विजेता श्रीमान कैलाश सत्यार्थी के द्वारा दिया गया। आज रवीना ने 93 प्रतिशत अंक हासिल कर नारायणपुर के उपखंड में पहला नंबर का स्थान हासिल किया है। गांव के लोगो ने ढेरो शुभकामना दी कहते है अपनी जीत की तैयारी इतनी शांति से करो की आपकी सफलता शोर मचा दे। रवीना ने भी कुछ इसी तरह किया है। गांव की एक साधारण सी दिखने वाली लड़की जिसे आज से पहले लोग मात्र एक बकरी चराने वाली के नाम जानते थे।

घर में बिजली नहीं, टॉर्च की रोशनी में करती थी पढ़ाई | Rajasthan 12th Arts  Topper Struggle Success Story; Alwar Student Girl Gets 93 Percent In 12th -  Dainik Bhaskar

आज पूरा राजस्थान उसे उसके नाम से जान रहा है और उसे उसकी इस सफलता पर ढेरो बधाइयां दे रहा है। विपरीत परिस्थितियों में भी जीत हासिल करने वाली रवीना गुर्जर, गांव के लोगो के बीच अब चर्चे का विषय बनी हुई है। रवीना आज उन सभी बच्चों के लिए प्रेरणा बन गई है, जो कमियो को अपना नासिब मानते है और रोते रहते है। रवीना की दादी जाना देवी की उम्र 90 साल है। आज वे अपनी पोती से बहुत ज्यादा खुश है रवीना कहती है कि आगे उन्हें पुलिस विभाग में जाना है और आम जनता की मदद करना है।

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