हर इंसान के जीवन में कोई न कोई लक्ष्य जरूर होता है।कोई उस लक्ष्य को पाने का सिर्फ सपना ही देखता रह जाता है तो कोई दिन-रात एक कर के उस लक्ष्य को पाने में लगा रहता है।इसी तरह का एक कारनामा कर दिखाया है राजस्थान के मयंक ने जो सिर्फ 21 साल की उम्र में भारत के सबसे युवा जज बन गये हैं।
मयंक प्रताप सिंह ने जज बनने के लिए हुई राजस्थान न्यायिक सेवा भर्ती परीक्षा-2019 में पहला स्थान हासिल किया था।साल 1999 में राजस्थान के जयपुर के सामान्य परिवार में जन्में मयंक प्रताप सिंह बचपन से ही पढ़ाई में तेज़ थे।उन्होंने अपनी 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद साल 2014 में ही राजस्थान विश्वविद्यालय में पांच साल के एलएलबी कोर्स में दाखिला ले लिया था।
उन्होंने 2014 में ही राजस्थान विश्वविद्यालय के पांच वर्षीय विधि पाठयक्रम की प्रवेश परीक्षा दी और पहले ही प्रयास में उनका चयन हो गया।वो शुरू से ही जज बनना चाहते थे। उन्होंने अपना लक्ष्य पहले ही तय कर लिया था। इसलिए वो लगातार पढ़ाई कर रहे थे।अन्य बच्चों से हटकर वो 12-12 घंटे तक पढ़ाई करते थे। पढ़ाई के दौरान उन्हें दिन-रात का पता नहीं चलता था उनका केवल एक ही लक्ष्य था परीक्षा को पास करना।
मयंक अपने लक्ष्य को लेकर इतने ज्यादा केंद्रित थे कि उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में जज की परीक्षा पास कर ली।उनके मन में हमेशा से न्यायलय में लंबित मामलों को लेकर उधेड़बुन चलती रहती थी। इसलिए वो जज बनकर लोगों को न्याय देना चाहते थे।इसी कड़ी में उन्होंने अपने कॉलेज के समय में ही परीक्षा दी और अपने पहले प्रयास में इस परीक्षा को पास कर लिया।
जिस परीक्षा को पास करने में कई साल लग जाते हैं उसे मयंक ने पहले प्रयास में पास कर इतिहास रच दिया।न्यायिक सेवा परिक्षाओं में साल 2018 तक आवेदन करने की न्यूनतम उम्र 23 साल ही थी।लेकिन 2019 में राजस्थान हाईकोर्ट ने आवेदकों की आयु सीमा घटाकर 21 वर्ष कर दी थी।
इसी बात का फायदा उठाते हुए मयंक ने अपने मेहनत के दम पर सबसे कम उम्र के जज होने का गौरव प्राप्त किया।मयंक के सपनों को पूरा करने में उनके परिवार का भी पूरा सहयोग रहा।मयंक अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने परिवार और शिक्षकों को देते हैं।
उनका मानना है कि इनके सहयोग के बिना इस परीक्षा को पास कर पाना संभव नहीं था।उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से सफलता की कहानी लिखी है और आज अपनी तरह लाखों युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं।