जहां चाह है वहां राह है, इस कहावत को सच कर दिखाया गुजरात के सूरत शहर के एक छोटे से गांव कानोदर में रहने वाले सफीन हसन ने. 22 साल उम्र में जब युवा ये तय नहीं कर पाते हैं कि उन्हें किस दिशा में आगे बढ़ना है, एक नौजवान ने देश के सबसे कम उम्र के आईपीएस अधिकारी बनने का अपना सपना पूरा कर लिया.
सफीन काफी गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे. उनकी शुरूआती पढ़ाई भी सरकारी स्कूल में हुई. गुजरात के सूरत के रहने वाले सफीन के माता-पिता हीरे की यूनिट में काम करते थे लेकिन वहां से नौकरी जाने के बाद उनकी मां ने घरों में काम करना शुरू कर दिया तो पिता इलेक्ट्रीशियन का काम करने के साथ चाय और अंडे बेचने लगे.
सफीन ने हाईस्कूल तक गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई की मगर वो पढ़ने में बहुत तेज थे. 11वीं में जब उन्होंने विज्ञान लेनी चही तो स्कूल में ये सुविधा नहीं थी.इतने पैसे नहीं थे कि कोई पब्लिक स्कूल में एडमिशन ले सकें.
तभी एक नया स्कूल खुला जहां सफीन के पुराने शिक्षक भर्ती हो गए जो उनकी पढ़ाई के कायल थे. उन शिक्षकों नपे सफीन का वहां पर एडमिशन करवा दिया और फीस के बोझ से भी उन्हें मुक्ति दिला दी.
सफीन मन लगाकर पढ़ने लगे और आईपीएस के लिए तैयारी करने लगे. परीक्षा के एक दिन पहले सफीन का एक्सीडेंट हो गया मगर उसी हालत में उन्होंने परीक्षा दी और पहली ही बार में उन्होंने आईपीएस का एक्जाम पास कर लिया. सफीन देश के सबसे कम उम्र के युवा आईपीएस बन गए.