हिंदी मीडियम से पढ़ाई करने वाली गरिमा ने ऐसे तय किया IAS तक का सफर, पहले ही प्रयास में बनीं IPS

यूपीएससी एक ऐसी कठिन परीक्षा मानी जाती है जिसमें लोग एक बार सफलता को तरसते हैं।वहीं कुछ कैंडिडेट्स ऐसे होते हैं जिन्हें किस्मत और उनकी कड़ी मेहनत बार-बार इस मुकाम तक पहुंचा देती है।

आज हम बात करेंगे मध्य प्रदेश की एक छोटी सी जगह खरगोन की गरिमा अग्रवाल की।गरिमा का बैकग्राउंड देखो तो सामने आएगा कि उन्होंने अपनी स्टूडेंट लाइफ में बहुत कुछ हासिल किया और वे हमेशा से एक ब्रिलिएंट स्टूडेंट रहीं।लेकिन श्रेष्ठ तक पहुंचने का यह सफर इतना आसान नहीं होता न ही इतनी आसानी से यह सफलता मिलती है।

Success Story of IAS Topper Garima Agrawal | IPS से IAS तक का सफर

हर किसी के जीवन में अपने-अपने संघर्ष होते हैं। गरिमा के भी थे लेकिन सब संघर्षों से पार पाकर उन्होंने यह सफलता हासिल की।गरिमा उन कैंडिडेट्स के लिए भी बड़ी प्रेरणा हैं जिन्हें लगता है कि हिंदी मीडियम से की गयी स्टडी उनके करियर में आगे अवरोध बन सकती है।गरिमा की पूरी स्कूलिंग उनके टाउन में स्टेट बोर्ड से हुयी पर गरिमा अपने जीवन में सफलता दर सफलता हासिल करती गयी।

हिंदी मीडियम से पढ़ाई कर बनीं इंजीनियर, नहीं की नौकरी; पहली बार में IPS और  फिर तय किया IAS का सफर

गरिमा की मां किरण अग्रवाल होममेकर हैं और पिता कल्याण अग्रवाल बिजनेस मैन और समाज सेवी हैं।गरिमा की बड़ी बहन प्रीती अग्रवाल भी साल 2013 में यूपीएससी परीक्षा पास करके इंडियन पोस्टल सर्विस में कार्यरत हैं।एक साक्षात्कार में गरिमा कहती हैं कि आपके परिवार के लोग इसी सेवा में होते हैं इस बात का फायदा मिलता है पर पढ़ना आपको ही पड़ता है।

IAS Garima Agarwal Success Story: हिंदी मीडियम से पढ़ाई कर बनीं इंजीनियर,  नहीं की नौकरी, पहली बार में IPS और फिर तय किया IAS का सफर | Engineer became  an engineer after

मेहनत आप ही करते हैं और हर तरह का संघर्ष आपका ही होता है। इसस नहीं बचा जा सकता और अपना सौ प्रतिशत तो देना ही होता है।गरिमा की यह सफलता तो सभी को दिखती है पर इसके पीछे का संघर्ष और दिन-रात की मेहनत कम ही लोग जानते हैं।हिंदी मीडियम की गरिमा के लिए इंग्लिश में परीक्षा लिखना और न्यज़ पेपर पढ़ना आसान नहीं था।

IAS Garima Agarwal Success Story: हिंदी मीडियम से पढ़ाई कर बनीं इंजीनियर,  नहीं की नौकरी; पहली बार में IPS और फिर तय किया IAS का सफर - Sky News 100

शुरू में उन्हें केवल पेपर पढ़ने में ही तीन घंटे लग जाते थे। हिंदी मीडियम के बावजूद उन्होंने इंग्लिश में परीक्षा देना चुना क्योंकि हिंदी में स्टडी मैटीरियल जैसा वे चाह रही थीं नहीं मिल रहा था।यूपीएससी मेन्स में इफेक्टिव आसंर लिखना सबसे बड़ा चैलेंज था जिसे पार पाने के लिए उन्होंने खूब आंसर राइटिंग प्रैक्टिस करी।

Success Story Of IAS Topper Garima Agrawal How She Became IAS From IPS | IAS  Success Story: दो प्रयास और दोनों में सफल, ऐसा था गरिमा का IPS से IAS बनने  का

गरिमा कहती हैं एक या डेढ़ साल की डेडिकेटेड तैयारी आपको सफलता दिला सकती है बस इस एक या दो साल में कुछ और न करें केवल और केवल यूपीएससी पास करने पर ध्यान केंद्रित करें।

Leave a Comment