यूपीएससी के एग्जाम को क्लीयर करना एक बड़ी चुनौती होती है और इसे देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है।
ऐसे में कई बार लोग अपनी किस्मत या किसी अन्य कारण का हवाला देकर तैयारी को बीच में ही छोड़ देते हैं
लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो आखिर तक हार नहीं मानते और एग्जाम क्लीयर करते हैं।
ऐसी ही कहानी केरल के मोहम्मद अली शिहाब की है। आज शिहाब एक आईएएस अधिकारी हैं लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया है।
मोहम्मद शिहाब को अनाथालय में भी रहना पड़ा था। उनका जन्म 15 मार्च 1980 को केरल के मलप्पुरम जिले में हुआ था।
उनके पिता का नाम कोरोट अली और मां का नाम फातिमा था। उनके घर पर पैसों की इतनी कमी थी कि शिहाब अपने पिता के साथ बांस की टोकरियां और पान बेचते थे।
पैसों की कमी की वजह से शिहाब की मां ने उन्हें और उनके भाई-बहनों को अनाथालय में छोड़ दिया।
यहीं शिहाब का ध्यान पढ़ाई की ओर गया और उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई अनाथालय में रहकर ही पूरी की। साल 2011 में उन्होंने यूपीएससी में 226वीं रैंक हासिल की।
मोहम्मद अली शिहाब तीसरी कोशिश में IAS अधिकारी बने। वह इस समय नागालैंड कैडर के आईएएस ऑफिसर हैं।
गौरतलब है कि हर साल कई बच्चे सिर्फ इसलिए तैयारी करना छोड़ देते हैं क्योंकि उनका मानना है कि उनके जीवन के संघर्ष उनकी तैयारी में बाधा बन रहे हैं।
ऐसे में शिहाब की कहानी सभी बच्चों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। शिहाब ने इतने संघर्षों के बावजूद यूपीएससी क्लीयर किया और आईएएस बने।